Friday, January 13, 2012

72 हजार शिक्षकों की भर्ती चुनाव बाद! / आचार संहिता लागू हो जाने से लटकी भर्ती प्रक्रिया


72 हजार शिक्षकों की भर्ती चुनाव बाद! / आचार संहिता लागू हो जाने से लटकी भर्ती प्रक्रिया
 
लखनऊ। केंद्र सरकार ने भले ही शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत यूपी के बीएड डिग्रीधारकों को प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बनाने की अनुमति दे दी हो लेकिन राज्य सरकार की लापरवाही से भर्ती प्रक्रिया लटक गई है। सरकार को चुनाव आयोग से अनुमति लेना अनिवार्य होगा और आयोग इतनी बड़ी संख्या में भर्ती की अनुमति देगा, यह संभव नहीं लगता। यही नहीं मोअल्लिम डिग्रीधारकों का भविष्य भी अधर में फंस गया है। मोअल्लिम डिग्रीधारकों से भर्ती के लिए आवेदन मांगा जाता, इससे पहले यूपी में विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लग गई इससे साफ हो गया है कि शिक्षा का अधिकारी अधिनियम के तहत प्राइमरी स्कूलों में होने वाली 72 हजार 825 शिक्षकों की भर्ती चुनाव बाद ही हो सकेगी।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने राज्यों को बीएड डिग्रीधारकों को सीधी भर्ती की अनुमति 31 दिसंबर 2011 तक दी थी। एनसीटीई ने शिक्षकों की भर्ती के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किया है। राज्य सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्राइमरी स्कूलों में 80 हजार शिक्षकों की भर्ती का प्रस्ताव भेजकर केंद्र से मंजूरी ली थी। केंद्र से मंजूरी के बाद राज्य सरकार इस ऊहापोह में रही कि टीईटी न कराना पड़े।
टीईटी को लेकर शासन स्तर पर छिड़ी जंग इतनी खिंची की केंद्र से शिक्षकों की भर्ती की अनुमति मिलने के बाद भी मामला साल भर से अधिक टल गया। अंतत: राज्य सरकार ने 13 नवंबर को टीईटी कराने का निर्णय किया। टीईटी के बाद रिजल्ट जारी हुआ तो आवेदन को लेकर शासन स्तर पर मामला फंस गया।
 शासन स्तर पर निर्णय करते-कराते काफी समय निकल गया। राज्य सरकार ने शिक्षकों की भर्ती के लिए भले ही 9 जनवरी तक आवेदन मांगा, लेकिन प्रदेश में चुनाव आचार संहिता 24 दिसंबर को लागू हो गई। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शिक्षक भर्ती के लिए जिलों में 5 जनवरी तक 49 लाख आवेदन प्राप्त हो चुके थे और अंतिम तिथि तक आवेदन आने का आंकड़ा 70 लाख के ऊपर तक पहुंच सकता है। शिक्षक भर्ती के लिए भले ही टीईटी पास अभ्यर्थियों ने आवेदन किया हो लेकिन उन्हें फिलहाल चुनाव समाप्त होने का इंतजार करना पड़ेगा।

2 comments:

Anonymous said...

Hon'ble Sudhir Agarwal also dismissed one more writ against TET:

Case :- WRIT - A No. - 598 of 2012
Petitioner :- Gautam Kumar Srivastava
Respondent :- State Of U.P. & Others
Petitioner Counsel :- Agnihotri Kumar Tripathi,Anil Singh Bishen
Respondent Counsel :- C.S.C.,C.N. Tripathi,R.A. Akhtar

Hon'ble Sudhir Agarwal,J.
Petitioner has challenged validity of Clause 1(1) (Kha) of Notification dated 23.8.2010 and Clause 1 (1) (Kha) of Notification dated 29.7.2011 whereby it provides that a person, to be eligible for appointment on the post of Teacher in Primary School, will have to undergo a training which shall be conducted by appropriate Government in accordance with guidelines framed by NCTE. It is contended that this part of Regulation is ultra vires of the Basic Education Act, 1972 which confers power upon State Government to permit Basic Education Board for conducting such examination.
The submission is thoroughly misconceived. In exercise of powers under Section 23 of Right of Children to Free and Compulsory Education Act, 2009, National Council of Teachers Education has been named as Authorized Authority to lay down minimum qualification in furtherance thereof it has recognized Teachers Eligibility Test which is conducted by State Government. It cannot be said the said provision in any manner is repugnant to the Provincial Statue and in any case if that is so, the Central Statute has to prevail for the reason that State Act has not been given Presidential consent and therefore under Article 252 of the Constitution it is the Central Act which shall prevail.
Prima facie I am not satisfied that there is any irregularity or illegality in the aforesaid two provisions.
Dismissed.
Dt. 11.1.2012

Anonymous said...

प्रिय दोस्तों,
मैं आप लोगों का ब्लाग पिछले कई दिन से पढ़ रहा हॅंूं। यह मुझे काफी अच्छा लगा, जिसमें आप लोगों के विचारों का प्रकटीकरण है। मुझे बेहद अफसोस एवं दुःख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि जब व्यवस्थापक स्वयं व्यवस्था सही न करे एवं खुद किसी चीज को राजनीतिक रंग दे तो इसमें किसका दोष है?
मैं आपको यहाॅं याद दिलाना चाहता हॅंूं कि एन0सी0टी0ई0 ने 2010 में ही शिक्षक भर्ती हेतु अधिसूचना जारी की थी, आज तक भर्ती न होना क्या एन0सी0टी0ई0 की गलती है? आज मैं उन भाईयों से पूछना चाहता हॅूं जो यह कह रहे हैं कि यह सरकार नहीं आई तो टी0ई0टी0 से मेरिट नहीं बनेगी, मैं उनको बताना चाहता हॅंूं कि यह सरकार एन0सी0टी0ई0 को मेरिट के आधार पर चयन हेतु बिना टी0ई0टी0 कराये ही अनुमति मांगी थी, जिसे एन0सी0टी0ई0 ने रद्द कर दिया,क्या वाकई यह सरकार टी0ई0टी0 के पक्ष में थी? रही बात टी0ई0टी0 की तों क्या टी0ई0टी0 में दो फार्म भरवाना, छपवाना, स्कैनिंग कराना, दो-दो रोल नं0 देना, दो-दो प्रवेशपत्र बनवाना, दो-दो फार्म अभ्यर्थियों द्वारा भेजना, जिसमें समय का अपव्यय, आर्थिक अपव्यय आदि हुये , डाक विभाग को भी दुहरा काम करने पडे कहाॅं तक उचित था?
रही बात टी0ई0टी0 के आयोजन की परीक्षा के तीन-चार दिन पहले टी0ई0टी0 के आधार पर भर्ती की खबर से धांधली को और बल मिला? जो लोग मेरिट में थे या नहीं थे सभी मुख्य परीक्षा टी0ई0टी0 को ही नौकरी का रास्ता समझे जिससे धांधली हुई, यदि सरकार को ऐसा करना था जल्द अंकपत्र देकर तब विज्ञप्ति निकालती तो धांधली कम होती या नहीं होती।
इसके बाद विज्ञप्ति की बात किया जाये इनकी पाॅंच जिलों की बाध्यता की बात की जाये तो यह कहाॅं तक उचित था? कहीं की मेरिट 105 अंक पर हो जाता और कहीं 115 का नहीं होता यह प्रतिबन्ध एक जुए और गेम की तरह हो जाता, क्या वाकई टी0ई0टी0 प्रदेश स्तर की होने के बावजूद 115 वाले का नहीं होना गलत नहीं था?
मेरे प्रिय साथियों मैं आपको बता दूॅं माननीय उच्च न्यायालय से पहली विज्ञप्ति निरस्त होने के बावजूद यदि व्यवस्थापक लोग चाहते तो 31 दिसम्बर 2011 तक हम, आप और तमाम साथी इस समय प्राथमिक विद्यालय में प्रशिक्षु अध्यापक होतें, लेकिन वहाॅं भी गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाया गया। एक फार्म की जगह 70-75 फार्म भरे जा रहे हैं। कौन कहे काम कम करना चाहिये था, काम जान बूझकर बढ़ाया गया, जरा सोचिये! 70-75 फार्म भरना, फोटो लगाना, संलग्नक फोटोस्टेट कराना, लिफाफे पर नाम पता लिखना, एक पूरा झोला आवेदन पत्र का, एक अभ्यर्थी का स्पीड पोस्ट का इतना खर्च, दिन-रात लाइन में लगने के बाद स्पीड पोस्ट का होना, क्या वाकई सरकार भर्ती करने वाली थी? जरा गौर कीजिये! भर्ती के कई विकल्प थे, जैसे पुराने समस्त फार्माें को निरस्त कर एक नया फार्म मंगाना जिससे की उस फार्म की आनलाइन फीडिंग कराकर हर डायट को भेज देना, जिससे समस्त जिले में उस अभ्यर्थी के फार्म फीलिंग हो तथा मेरिट के अनुसार उसका चयन हो। दूसरा-आनलाइन फार्म भरवाकर आनलाइन काउसिंलिंग करा देना। यदि 25-26 दिसम्बर अंतिम तिथि होती तो मैं आपकों बता दूॅं कि दो दिन में समस्त अभ्यर्थियों को जिला एलाट हो जाता।
साथियों जरा गौर कीजिये 2008 की लिस्ट आज तक निकल रही है, इसका जिम्मेदार कौन है?
कुछ सवालों के जबाब आज भी जमीन तलाशने को मजबूर हैं ऐसा क्यों?
1. क्या वास्तव में जिम्मेदार लोग भर्ती करना चाह रहे थे?
2. क्या उनकी नजर 72825 की वोट पर नहीं बल्कि 6 लाख वोटरों पर है?
शेष फिर कभी
आपका
सतीश सी0 पाण्डेय
मो0-8090371840