Wednesday, January 11, 2012

हुजूर आते-आते बहुत देर कर दी

हुजूर आते-आते बहुत देर कर दी


-शासन की लेटलतीफी से शिक्षकों की नियुक्ति पर आचार संहिता का ब्रेक
(Slow process of Recruitment Process Make Breaks of Election Code of Conduct)
-शिक्षकों का अंतरजनपदीय तबादला भी लटका
( Basic Teachers Inter Departmental Transfer also Suspended)
लखनऊ, जागरण ब्यूरो : बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों की नियुक्तियों और तबादलों के जरिये बेरोजगार नवजवानों और अध्यापकों का दिल जीतने की राज्य सरकार की हसरत धरी रह गई। प्रदेश में विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित स्कूलों में शिक्षकों और मोअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों की नियुक्तियां और बड़े पैमाने पर शिक्षकों के अंतरजनपदीय तबादले फिलहाल लटक गए हैं।बेसिक शिक्षा निदेशालय ने प्राथमिक स्कूलों में 80000 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अगस्त 2010 में शासन को प्रस्ताव भेजा था लेकिन कैबिनेट तक यह प्रस्ताव पहुंचने में एक साल से अधिक समय लग गया। कैबिनेट ने परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 72,825 शिक्षकों की नियुक्ति को मंजूरी दी बीती 14 सितंबर को। शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अनिवार्य किये गए टीईटी के आयोजन को लेकर भी महीनों अनिश्चितता रही। अंतत: यूपी बोर्ड टीईटी का आयोजन 13 नवंबर को करा सका। 25 नवंबर को टीईटी का परिणाम आने के बाद शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा 30 नवंबर को प्रकाशित विज्ञप्ति को हाई कोर्ट ने रद कर दिया। शिक्षकों की नियुक्ति के लिए परिषद को न सिर्फ दोबारा विज्ञप्ति प्रकाशित करनी पड़ी बल्कि भर्ती की प्रक्रिया निपटाने के लिए शासन ने एनसीटीई ने समयावधि भी बढ़ाने का अनुरोध किया है। बहरहाल 24 दिसंबर से प्रदेश में चुनाव आचार संहिता लागू हो जाने की वजह से शिक्षकों की नियुक्ति फिलहाल खटाई में पड़ गई है। बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर भले कह रहे हों कि नियुक्ति की प्रक्रिया जारी रहेगी लेकिन आचार संहिता की वजह से चुनाव प्रक्रिया संपन्न होने तक परिणाम रुका रहेगा।
मुस्लिम समुदाय को खुश करने के लिए राज्य सरकार ने 1997 से पहले के मोअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों को उर्दू शिक्षक नियुक्त करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अपील को बीते अगस्त माह में वापस लेने में भले ही तेजी दिखायी हो लेकिन जिस मकसद से शासन ने यह फैसला किया, वह भी चुनाव प्रक्रिया संपन्न होने तक पूरा होता नहीं दिखता। चुनावी वर्ष में राज्य सरकार ने परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को तोहफा देने के मकसद से शासन ने स्थानांतरण सत्र 2011-12 को शून्य घोषित करने के अपने फैसले के खिलाफ जाने का फैसला किया। शिक्षकों को उनकी मर्जी के मुताबिक अंतरजनपदीय तबादलों की सौगात देने के लिए कैबिनेट से प्रस्ताव पारित कराया गया। शिक्षकों के अंतरजनपदीय तबादलों की राह से रोड़े दूर करने के लिए उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली, 1981 में संशोधन किया गया। अंतरजनपदीय तबादलों के लिए शिक्षकों से 31 दिसंबर तक विकल्प मांगे गए। अब जबकि तबादले के लिए लगभग 58,000 आवेदन आ चुके हैं, आचार संहिता ने इस पर भी ग्रहण लगा दिया

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